उर्से मखदूमी का कुल शरीफ की फातिहा के साथ हुआ समापन, देश व कौम की हिफाजत के लिए दुआओ में उठे हजारों हाथ।

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पीलीभीत/न्यूरिया:-हजरत मखदूम अली शाह मियां का 103 वां सालाना उर्स बड़ी शान ओ शौकत के साथ मनाया गया।उर्स के चौथे और पांचवे दिन कव्वाली की महफ़िल सजी जबकि छठे दिन कुल शरीफ की फातिहा के बाद उर्स का समापन हो गया, उर्स के दौरान दरगाह पर जायरीनों का तांता लगा रहा,मन्नते पूरे होने पर जायरीनों ने दरगाह पर पहुचकर की चादरपोशी।
कस्बा न्यूरिया में स्थित सुप्रसिद्ध हजरत मखदूम अली शाह मियां की दरगाह पर इस साल भी 23 अप्रेल से बड़ी धूमधाम और शान ओ शौकत से 103 वा सालाना उर्स शुरू हो हुआ।छह रोजा उर्स का छठे दिन कुल शरीफ की फातिहा के बाद समापन हो गया।उर्स के चौथे दिन रात 9 बजे से कब्बाली की महफ़िल सजाई गई।कब्बाली का आगाज उत्तराखण्ड से आए आकिब रागिब कब्बाल ने अपने कलाम पेश किए। उसके बाद रात 11 बजे कलकत्ता से आई महिला कब्बाल कु नेहा नाज एंड पार्टी ने कब्बाली व नाते पाक पड़ कर महफिल में बैठें हजारों की संख्या में कव्वाली के शौक़ीन जायरीनों को झूमने पर मजबूर कर दिया।नेहा नाज ने अपने कलाम पेश करने से पहले आतंकवादी हमले में शहीद हुए जबानों की शहादत को सलाम करते हुए कहा अल्लाह बालो राम बालो अपने मजहब को सियासत से बचा लो, मन्दिर मस्जिद कभी फुर्सत से बना लेना जो नफरत से टूटे है वह घर तो बना लो।उसके बाद नेहा नाज ने ‘हर खता पर शर्मशार हूँ मैं ए खुदाया गुनाहगार हूँ मैं, जानकर भूल कर जो किया है, है पता उसकी सजा किया है, नातेपाक पड़ी बाद में कब्बालियो का सिलसिला सुरु हुआ जो देर रात तक चला। नेहा नाज ने मेला कमेटी व कब्बाली के शौकीन जायरीनों की फरमाइस पर कोई हद है उनके उरूज की सरला मका से तलब हुई, वो मोहम्मद का प्यारा नवासा जिसके सदके में गर्दन कटा दी, मेरे रसके कमर तूने पहली नजर जब नजर से नजर मिलाई मंजा आ गया, दिल ने पुकारा नबी नबी , भर दो झोली लौटकर ना जाऊंगा खाली आदि कब्बाली प्रस्तुत कर महफ़िल में शमा बांध दिया
जबकि पांचवे दिन मुंबई से आए अनीस नबाव कव्वाल ने हजरत मखदूम अली शाह मियां की शान मनकवत व नाते पाक सुनाई कव्वाली पड़ते हुए कुरान मदीना जाएंगे वेच कर गेहूं धान मदीना जायेगे, लन्दन पेरिस और अमरीका तुम जाओ, हम तो भाई जान मदीना जाएंगे काफी पसंद की गई।उर्स के छठे दिन सुबह साढ़े 10 बजे हजरत मखदूम अली शाह मियां की दरगाह पर कुल शरीफ की फातिहा पड़ी गई इस मौके पर मौलाना अब्दुल कय्यूम समेत दर्जन भर उलमाओं ने तकरीर की तकरीर के बाद दुआ पड़ी गई दुआओ मे देश व कौम की हिफाजत के लिए दुआ की गई कुल शरीफ शुरू करने से पहले हजरत मखदूम अली शाह मियां की दरगाह के सज्जादानसी डॉ अकबर हुसैन ने अंजुमन रशीदी मेला कमेटी सदस्यों को दुशाला उड़ाकर सम्मानित किया इस दौरान डॉ अकबर ने बताया हजरत मखदूम अली शाह मियां के मुरीदो की खासी तादात है हजारों मुरीद उर्स सुरु होते ही दरगाह पर हाजरी देने आते है और उनके करम से फैज पाते है। हजरत मखदूम अली शाह मियां की दरगाह पर मुस्लिमो के अलाबा दूसरे धर्मो के लोगों की भी आस्था है औऱ दरगाह पर पहुच चादरपोशी कर मन्नते मांगते हैं। हजरत मखदूम अली शाह मियां की करामाते बुजर्गो की जुबान पर अभी भी ताजा है जिन्हें बुजुर्ग अपनी जुबानी सुनाते है।कुल शरीफ के दौरान चेयरमैनपति अब्दुल फय्युम, मो जफर, कमाल अहमद, मो असलम, हाजी इरफान खाँ, जाहिद हुसैन, हाजी नईम खान,रहीस अहमद, अब्दुल सत्तार, इरशाद हुसैन,मोइन हुसैन,मो अय्यूब, शकील अहमद, फय्युम वोडाफोन, लबली मास्टर, अब्दुल सगीर, जाकिर हुसैन, मुन्ने शाह आदि मौजूद रहे।

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