साहब काम बंद, राशन कार्ड भी नही बन रहा, कैसे होगा गुजारा, यह कहकर भावुक हो गई महिला।

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Najuk kamar hasan

पीलीभीत. संक्रमित वीमारी कोरोना वायरस से बचाव करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को पूरे देश मे 14 अप्रेल तक लॉकडाउन का एलान कर दिया था जिसका समय बढ़कर अब 3 मई तक हो गया है लॉकडाउन लगने के बाद मजदूरों की रोजी-रोटी छिन गई है। सरकार और प्रशासन भले ही लोगों तक मदद पहुंचाने की बात कर रहा है, लेकिन कस्बा न्यूरिया में तमाम ऐसे परिवार हैं जिन तक अब भी सरकारी मदद नहीं पहुंच सकी है और ना ही उनके राशन कार्ड बन पाए है।यहां एक नहीं कई परिवार लॉकडाउन के चलते भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं।करोना संकट में लॉकडाउन का समय बढ़ने के साथ ही गरीबों के बीच भोजन संकट की समस्या गंभीर होती जा रही है।ऐसे में कई परिवारों के सामने भोजन संकट उत्पन्न हो गया है।जो सरकारी मदद नहीं मिलने से स्थानीय लोगों की मदद के मोहताज बने हुए हैं।ऐसे गरीब परिवारों का कहना है कि कोरोना वैश्विक महामारी से लॉक्डाउन के पहले चरण में 21 दिनों तक तो घरों में बचे-खुचे राशन से घर का चूल्हा जैसे-तैसे जला, लेकिन अब लॉकडाउन के दूसरे चरण में गुजारा कैसे हो यह समझ में नहीं आ रहा। हम गरीबों के घर में अब चूल्हा जलाने के लिए अनाज नहीं बचा है। जिसके चलते अब हम लोग भूखे ही सोने को मजबूर हैं।मोहल्ला खेडा के रहने बाली नाजुक पत्नी कमर हसन ने बताया कि जबसे लॉकडाउन शुरू हुआ है, तबसे एक पैसे का काम पति नहीं है। बड़ी मुश्किलों से हम अपने बच्चों और परिवार को पाल रहे हैं। नाजुक के मुताबिक चेयरमैन साहब के यहां से दो बार राहत सामग्री मिली है जिससे घर में चूल्हा जला है। नाजुक ने कहा परिबार में पति समेत नौ लोग हैं राशन कार्ड नही होने के कारण सरकारी राशन से बंचित रहना पड़ रहा है कई बार जिलापूर्ति कार्यालय के चक्कर लगाए लेकिन राशन कार्ड नही वन सका इतना ही नही नाजुक यह कहते हुए भाबुक हो गई उनकी आधी से अधिक उम्र टाट फटटे की झोपड़ी में कट गई अब जाकर प्रधानमंत्री आवास योजना से आवास स्वकृत हुआ है राशन कार्ड फिर भी नही वन पाया है।घर के खाली बर्तनों को दिखाकर मोहल्ला ठाकुरद्वारा की एक महिला ने बताया किसी तरह लोगों से मांग-मांगकर खाने का इंतजाम करना पड़ रहा है लेकिन अब वो भी खत्म हो रहा है।राशन कार्ड बनवाने के लिए कई बार पीलीभीत दफ्तर में चक्कर लगाए परन्तु राशन कार्ड नही बना अभी तक लगता तो यही है गरीब की कोई नही सुनता हाँ चेयरमैन साहब के यहां से मदद जरूर मिल रही है। मोहल्ला खववापुर नई बस्ती के रहने बाले रिक्सा चालक मो सलीम ने बताया लॉकडाउन के चलते हमारे पास कोई काम नहीं है। हम बहुत गरीब हैं। जैसे तैसे करके भोजन का इंतजाम कर रहे हैं। लेकिन अब उसमें भी दिक्कत आ रही है। सलीम ने बताया उसके पास भी राशन कार्ड नहीं है, जिस कारण सरकारी राशन की दुकान से अनाज भी नहीं मिल रहा।बवहीं दूसरे परिवार के महबूब शाह ने बताया वह राज मिस्त्री का काम करते है मजदूरी कर परिबार पाल रहे थे लॉकडाउन के बाद से उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है अव तो उनको अपने बच्चों के भोजन के अलाबा दवा दूध की व्यवस्था करना मुश्किल पड़ गया है वह इतना गरीब है उसके बाद भी उसका राशन कार्ड नही बना है उसने अपनी पत्नी मैनाज के नाम ऑनलाइन कराकर कई बार फार्म जिलापूर्ति कार्यालय और नगर पंचायत कार्यालय में जमा किया उसके बाद भी उसका राशन कार्ड नही बना। मोहम्मद जफर ने बताया कि लॉकडाउन के चलते उनका परिवार काफी मुश्किल में है कुछ राशन अपने रिस्तेदारी में से लाए थे वह भी अब खत्म हो रहा है।राशन कार्ड के लिए कई बार ऑनलाइन कर पीलीभीत जिला पूर्ति कार्यालय एवं नगर पंचायत कार्यालय में जमा किया लेकिन राशन कार्ड नही बना यही हाल सुरेंद्र पाल का है इनकी पत्नी रेखा ने कई बार राशन कार्ड के लिए ऑनलाइन कराई लेकिन राशन कार्ड नही बन पाया पड़ताल करने पर, गंगा देवी मूल्य चन्द्र, शाहजहाँ पत्नी मुख्तियार, कमर जहां पत्नी शेर मोहम्मद, शबीना पत्नी अल्ताफ हुसैन, अफरोज पुत्री शकील अहमद, विस्मिल्लाह पत्नी रियाज अहमद, लक्ष्मी पत्नी प्रदीप कुमार , मलका पत्नी सलीम, नीतू पत्नी चन्दन, कमलेश पत्नी मदन लाल, सगीना पत्नी सगीर अहमद, जैरा पत्नी युनूस, सुगरा पत्नी अकबर, जेबा पत्नी रिजबान अली बेग जैसे दर्जनों परिवार हैं जिनको बिना राशन कार्ड के परिबार का पालन पोषण करने में दिक्कत आ रही है ऊपर से लॉक डाउन के चलते मजदूरी भी नहीं मिल रही है।

20200428 142657