राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की जगह नया आयोग बनाएगी मोदी सरकार.

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नई दिल्ली: मोदी सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को ख़त्म करके उसकी जगह एक नया आयोग गठित करने का फ़ैसला किया है. राष्ट्रीय सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ा आयोग के नाम से बनने वाले इस आयोग को संवैधानिक दर्ज़ा हासिल होगा सरकार के फ़ैसले को जाटों के आरक्षण की मांग से जोड़ कर देखा जा सकता है. केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार की अपनी बैठक में एक बड़ा फ़ैसला ले लिया. कैबिनेट ने राष्ट्रीय सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग आयोग गठित करने पर अपनी मुहर लगायी. नया आयोग 1993 से चले आ रहे राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की जगह लेगा.
कैसे अलग होगा ये आयोग?
नये आयोग को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की तरह ही संवैधानिक दर्ज़ा हासिल होगाइसके लिए संविधान की धारा 338 में संशोधन के लिए संसद में संविधान संशोधन विधेयक लाया जाएगापिछला आयोग संसद के एक क़ानून के तहत बना था विहाज़ा उसे केवल वैधानिक दर्ज़ा हासिल थानये संविधान संशोधन विधेयक में ये प्रावधान भी जोड़ा जाएगा जिससे ओबीसी की केंद्रीय सूची में किसी भी फेरबदल के लिए अब संसद की अनुमति ज़रूरी होगी, अबतक ये फ़ैसला सरकार के स्तर पर ही हो जाता था.हालांकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की सूची में बदलाव के लिए अभी भी संसद की अनुमति लेनी पड़ती हैइतना ही नहीं ओबीसी समुदाय से जुड़ी शिकायतें सुनने और उनके निपटारा का अधिकार राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पास था न कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के पास
संवैधानिक संस्थानों की सिफ़ारिशों का वज़न ज्यादा
जानकार मानते हैं कि वैसे तो ऐसी सभी संवैधानिक या वैधानिक संस्थाओं की सिफ़ारिशें सरकार पर बाध्य नहीं होती हैं लेकिन संवैधानिक संस्थानों की सिफ़ारिशों का वज़न ज्यादा होता है. ज़ाहिर है संवैधानिक दर्ज़ा मिलने और ओबीसी सूची में बदलाव के लिए संसद की मंज़ूरी अनिवार्य बनाने से उसकी सिफ़ारिशों का वजन ज़्यादा होता है और इसलिए सरकार के इस फ़ैसले को जाटों को आरक्षण के लिए हो रही मांग से भी जोड़ कर देखा जा रहा है.
एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक़
नये आयोग के गठन के तुरंत बाद जाटों के सामाजिक और शैक्षणिक हालात की समीक्षा के लिए सरकार आयोग को कह सकती है. आयोग की रिपोर्ट और अनुशंसा के बाद सरकार फिर आगे क़दम उठाएगी
पुख्ता तैयारी के साथ आरक्षण का एलान
दरअसल जाटों को जब जब आरक्षण देने का ऐलान हुआ है तब तब उस फ़ैसले पर अदालत ने रोक लगा दी है. सरकार के सूत्रों के मुताबिक़ इसकी एक बड़ी वजह बिना तैयारी के आरक्षण का फ़ैसला रही है. ऐसे में सरकार इस बार क़ानूनी तौर पर एक मज़बूत आधार बनाकर जाटों के लिए आरक्षण का ऐलान करना चाहती है पिछड़े वर्गों के लिए बनी संसदीय समिति ने 2014 में ही राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्ज़ा देने की सिफ़ारिश की थी. अबतक सरकार उस सिफ़ारिश पर अपना मन नहीं बना पा रही थी. 4 अगस्त 2015 को लोकसभा में दिए लिखित जवाब में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने साफ़ किया था कि आयोग को संवैधानिक दर्ज़ा देने का सरकार का कोई इरादा नहीं है
Credit: ABP News