कोरोना की जंग में पीलीभीत के डॉ कमरुद्दीन नहीं मिल पा रहे परिवार से, दिल्ली के महर्षि वाल्मीकि अस्पताल में खौफ और खतरे के बीच निभा रहे है फर्ज।

पीलीभीत:-बेहद गर्व का विषय है कि उनकी गलियों में पला बड़ा लड़का आज देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी से अपनी मेहनत लगन और कर्तव्यनिष्ठा से लड़ रहा है यह कोई और नहीं बल्कि जनपद पीलीभीत के सिद्दीकी नेशनल इंटर कॉलेज के रिटायर्ड अध्यापक रियाजुद्दीन ख़ान का बेटा डॉक्टर कमरुद्दीन ख़ान है जिन्होंने अपनी शुरुआती तालीम अपने शहर पीलीभीत के सैंट अलोयसिस स्कूल से की जहां से दसवीं के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आल इंडिया एंट्रेंस को पास कर इंटरमीडिएट में एडमिशन लिया।डॉक्टर बनने की ख्वाहिश थी जिससे वो समाज सेवा कर सके इस सपने को पूरा करने के लिए कमरुद्दीन ने बायोलॉजी सबजेक्ट को चुना और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में एम.बी.बी.एस में एडमिशन ले लिया लगन और मेहनत का इससे अच्छा उदाहरण कोई दूसरा नहीं मिल सकता डॉ कमरुद्दीन खाली समय मे लाइब्रेरी के बाहर कुछ ज़रूरतमंद गरीबो को मुफ्त में एक दो घण्टा पढ़ा भी देते थे।डाँ कमरुद्दीन ने तरक़्क़ी की है उसमें वालिदैन की दुआओ के साथ साथ उन सब लोगो का भी सहयोग है जिनको पढ़ाया था उसके अलावा जो भी छात्र उनसे मिलता था पढ़ाई करने के लिए मोटीवेट करते थे जिससे ना जाने कितने स्टूडेंट आज अच्छे पदों पर भी है। लहमेशा मेहनत करने वाले जज़्बे से लबरेज़ और उस पर पक्का यकीन रखने वाले इंसान का नाम ही डॉक्टर कमरुद्दीन है ना जाने कितने ऐसे स्टूडेंट है जिनके वो प्रेणास्त्रोत बने हुए है।डॉ कमरुद्दीन ने एएमयू से पोस्टग्रेजुएशन ऑर्थोपेडिक में किया है उसके बाद एम्स ऋषिकेश में भी अपनी सेवाएं दी अचानक दोबारा दिल्ली लौटने के इरादे से दिल्ली के महाऋषि वाल्मीकि हॉस्पिटल में सीनियर रेजिडेंट की हैसियत से कोरोना पीड़ित मरीजों का इलाज़ कर रहे है जिसके कारण एक लंबे अरसे से डॉक्टर कमरुद्दीन अपने परिवार में बुज़ुर्ग मां-बाप से भी नहीं मिले है जब भी उनके माँ-बाप कॉल करते है तो बस इतना ही कहते है। इस प्रोफेशन में आया ही था मैं समाज सेवा करने, क्योंकि हमने डॉक्टर का कोर्स करने से पहले जो शपथ ली थी आज वो वक़्त आ गया है जिसको पूरा करना है। डॉक्टर एक ऐसा पेशा है जिससे आप कभी भी भाग नहीं सकते, डॉक्टर कमरुद्दीन एक नरम दिल इंसान है हमेशा मरीज़ों की देखभाल में लगे हुए है। वो चाहते है कि जल्दी से जल्दी देश कोरोना मुक्त है और देश का हर नागरिक सुरक्षित रहे, स्वच्छ रहे, आनंदित रहे। डॉक्टर कमरुद्दीन ख़ान ने कहा बचपन से ही उनके अब्बू उनके प्रेणास्त्रोत रहे है उन्होंने हमेशा जो समाज सेवा का पाठ पढ़ाया था आज वो उनका जीवन बन गया है उनके ही पदचिन्हों पर चलकर वो कोरोना जैसी बीमारी से लड़ने के लिए खुद को सक्षम पाते है। डॉ. कमरुद्दीन ख़ान के पिता सेवानिवृत्त होने के बाद समाजसेवा को जारी रखते हुए जिला पीलीभीत में पीलीभीत पब्लिक स्कूल के नाम से स्कूल चला रहे है स्कूल खोलने का मकसद केवल इतना है जो गरीब, मज़दूर शिक्षा से महरूम रह गए है उनको भलीभांति शिक्षा मिल सके उनको निशुल्क पढ़ाया जाता है आखिर एक अध्यापक इस देश को दे ही क्या सकता है वो केवल बच्चों को अच्छा नागरिक बनने के लिए प्रोत्साहित ही कर सकता है अब बच्चा चाहे तो डॉक्टर, बने या फिर इंजीनियर या दूसरी सेवाओ में खुद को आगे बढ़ाए।किसी भी अध्यापक का अध्यापन के दौरान यही ध्येय होता है कि वो ऐसे छात्र-छात्राए तैयार करे जो देश मे अपने माता-पिता जिले और प्रदेश का नाम रौशन करे डॉक्टर कमरुद्दीन को इस साहसी काम के लिए भाई कमालुद्दीन, शमसुद्दीन और हमदर्द दोस्त अतहर ने बधाई दी।

अकरम अलीग की कलम से।