टेंपो चलाकर गुजारा करने को मजबूर टीम इंडिया के इस स्टार गेंदबाज के दादा, कभी थे कारखानों के मालिक।

तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह भारतीय क्रिकेट टीम के साथ आईपीएल के जरिए एकाएक सुर्खियों में आने के बाद करोड़ों कमा रहे हैं, लेकिन उनके दादा संतोख सिंह बुमराह बुढ़ापे में टैंपो चलाकर पेट पालने को मजबूर हैं।84 साल के संतोख सिंह उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले के किच्छा में आवास विकास कॉलोनी में किराए के मकान में रहते हैं।IMG 20170703 134327पिता की मौत के बाद जसप्रीत और उनकी मां दलजीत परिवारिक कारणों से अपने दादा से अलग हो गए थे। वे फिर कभी दादा से नहीं मिले। दलजीत तब स्कूल में प्रिंसीपल थीं। संतोख कहते हैं, मेरी यह दुआ है कि पोता क्रिकेट के खेल में खूब तरक्की करे और देश का नाम रोशन करे। मेरी आखिरी तमन्नाा है कि एक बार अपने पोते को गले से लगा सकूं। संतोखसिंह ने स्थानीय एसडीएम नरेश दुर्गापाल से आर्थिक मदद की गुहार की है।

कभी तीन फैक्ट्रियों के मालिक थे, अब तंगहाल
संतोखसिंह मूलतः अहमदाबाद के रहने वाले हैं, जहां इनके फैब्रिकेशन के तीन कारखाने थे। 2001 में पीलिया के कारण उनके बेटे और जसप्रीत के पिता जसवीरसिंह का निधन हो गया। बेटे की मौत ने उन्हें तोड़ दिया। फैक्ट्रियां आर्थिक संकट से घिर गईं और बैंकों का कर्ज चुकाने के लिए इन्हें बेचना पड़ा। 2006 में वे ऊधमसिंह नगर आ गए और चार टैंपो खरीदकर उन्हें किच्छा से रुद्रपुर के बीच चलाने लगे। यहां भी किस्मत दगा दे गई और तीन टैंपो बेचने पड़े। जसप्रीत के चाचा विकलांग हैं और दादी का 2010 में निधन हो चुका है। जसप्रीत की अहमदाबाद में रहने वाली बुआ ने ही पिता संतोख सिंह और अपने भाई का लंबे समय तक खर्च उठाया।IMG 20170703 134301