1 दिसंबर को रिलीज नहीं होगी पद्मावती, निर्माता ने खुद खींचे हाथ

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मुंबई
फिल्म पद्मावती को लेकर लगातर बढ़ रहे विवादों के बीच फिल्म के निर्माता कंपनी वायकॉम18 ने इसकी रिलीज को टाल दिया है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के हवाले
खबर है कि निर्माता कंपनी ने खुद रिलीज को टालने का फैसला किया है। इसके पहले सेंसर बोर्ड ने भी कुछ तकनीकी कारणों से फिल्म को लौटा दिया था। साथ ही इस बात पर नाराजगी जाहिर की थी कि फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली ने सेंसर बोर्ड से फिल्म के पास हुए बगैर ही कुछ चुनिंदा पत्रकारों को फिल्म दिखा दी है।

राजस्थान सहित कुछ अन्य राज्यों में राजपूत समाज के लोग फिल्म का कड़ा विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि भंसाली ने फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की है। राजपूतों के संगठन करनी सेना ने तो फिल्म की लीड ऐक्ट्रेस दीपिका पादुकोण की नाक तक काटने की धमकी दे डाली थी। इसके अलावा भंसाली की गर्दन काटने पर भी 10 करोड़ देने की बात कही गई। वहीं फिल्म इंडस्ट्री के कई लोग फिल्म के समर्थन में भी आ गए थे। इसी क्रम में फिल्म को लेकर हुए बावल का विरोध करने के लिए मशहूर एक्टर शबाना आजमी ने कहा था कि संजय लीला भंसाली और उनकी फिल्म ‘पद्मावती’ की ऐक्ट्रेस दीपिका पादुकोण के खिलाफ धमकी के विरोध में फिल्म जगत को गोवा में होने वाले इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (आईएफएफआई) का बहिष्कार करना चाहिए।

इसके अलावा इंडियन फिल्म ऐंड टेलिविजन डायरेक्टर्स असोसिएशन (IFTDA) के संयोजक अशोक पंडित ने कहा था, ‘फिल्म इंडस्ट्री इस समय घेरेबंदी में है। हमें धमकाया जा रहा है। अपराधी ठहराया जा रहा है। हमें पीटा जा रहा है और हमारे साथ दुर्व्यवहार हो रहा है। हम लोगों को धमकी मिल रही है कि हम वही बनाएंगे जैसा वे (विरोध करने वाले) कहेंगे। यह पूरी तरह से सांस्कृतिक आतकंवाद है।’

इससे पहले राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिखकर फिल्म की रिलीज डेट आगे बढ़ाने की मांग की थी। सीएम ने इसके पीछे राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ने की बात भी कही थी। वहीं यूपी सरकार ने भी यह कहते हुए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था कि फिल्म का रिलीज होना शांति व्यवस्था के लिए खतरा हो सकता है। यह पत्र यूपी के गृह विभाग ने केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव को लिखा है। पत्र में फिल्म की कहानी और ऐतिहासिक तथ्यों को कथित रूप से तोड़-मरोड़ कर पेश किए जाने की बात कहते हुए इस संबंध में केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) को अवगत कराने का अनुरोध किया गया है।