ढाई साल के बेटे को गोद में बैठाकर ऑटो चलाने पर मजबूर सईद की फोटो वायरल होते ही कई हाथ बड़े मदत के लिये।

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नई दिल्ली : मुंबई के वर्सोवा में रहने वाले सईद आंखों में आंसू और अपने ढाई साल के बेटे को गोद में लेकर ऑटो चलाने को मजबूर है जबकि उनकी तीन महीने की एक बेटी भी है जो पड़ोसियों के रहमोकरम पर पल रही है रोते हुए बेटे को गोद में लेकर मुंबई की सड़कों पर ऑटो चलाने वाले सईद की कहानी अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है उसके बाद से उसकी मदद के लिए कई लोग सामने आ रहे हैं।

पिछले करीब दो सप्ताह से सईद अपने बेटे मुजम्मिल को भारी गर्मी के बीच ऑटो में बैठाकर सवारियों को छोड़ रहे हैं सईद की पत्नी यास्मीन को स्ट्रोक के कारण लकवा मार गया है उनकी तीन महीने की बेटी मुस्कान की देख-रेख उनके पड़ोसी कर रहे हैं पड़ोसी के तीन बच्चे हैं और ऐसे में वह सईद के दो बच्चों को अपने छोटे से घर में नहीं रख सकते, जिस वजह से सईद बेटे को गोद में लेकर दिन-रात ऑटो चला रहे हैं।
सईद ने बताया वह गोरखपुर का रहने बाला है जबकि उनकी पत्नी का परिबार बैंगलूर में रहता है दोनों के परिबार मुम्बई में आने के लिये असमर्थ्य हैं इन हालात में घर और बच्चों की देखभाल की सारी जिम्मेदारी उनके सिर आ गई. उन्होंने कहा, ‘मेरी पत्नी को शरीर के बायें हिस्से में लकवा मार गया है. उसे तीन सप्ताह पहले स्ट्रोक आया और मैं उसे तुरंत कूपर अस्पताल ले गया था. अभी उसका एमआरआई टेस्ट होना है और मैं उसके इलाज के लिए पैसे जुटा रहा हूं.’सईद की हालत जानने के बाद फिल्म निर्देशक और पूर्व पत्रकार विनोद कापड़ी ने ऑटो चालक सईद का नंबर ट्वीट किया था. उन्होंने अपनी ट्वीट में कहा था, ‘यह हृदयविदारक है…मोहम्मद सईद से आज मिला. पत्नी को लकवा मार गया है. सईद के बेटे की देखभाल के लिए कोई नहीं है. वह लड़ रहा है और ऑटो चला रहा है.’ इसके बाद सईद के पास मदद के लिए कई लोगों के फोन आए. कापड़ी के ट्वीट के बाद कई मुंबईवासियों ने सीएम देवेंद्र फडणवीस को ट्वीट कर इस मामले में सईद की मदद का आग्रह किया है. कुछ ने ट्वीट कर कुछ एनजीओ से भी इस मामले में सईद की मदद करने को कहा है. इसके बाद सईद ने कहा, ‘मुंबई बड़ा ही दयालु शहर है. मुझे मालूम है मैं इस स्थिति से निकल जाऊंगा. मैं अपनी पत्नी को ठीक होते और बच्चों को हंसता-खेलता देखना चाहता हूं.’ इस बीच कूपर अस्पताल के अधिकारियों ने कहा है कि वे सईद की मदद के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे. अस्पताल के डीन डॉ गणेश शिंदे ने कहा, ‘सईद को मेरे पास आने दीजिए, हम उसकी मदद करेंगे काम की तलाश में दस साल पहले मुंबई आए सईद को हर रोज ऑटोरिक्शा का 400 रुपये किराया देना होता है. अब उन्हें अपनी पत्नी को देखने और दवा देने के लिए हर दो घंटे पर घर जाना होता है. साथ ही अपनी छोटी बच्ची का पर भी ध्यान देना होता है. सईद कहते हैं, ‘मैं अपनी पत्नी के इलाज के लिए लगभग 24 घंटे काम करता हूं. इस दौरान मैं केवल कुछ देर के लिए ही सो पाता हूं सईद ने बताया कि अभी उनके पास पैसे नहीं है. कुछ हजार रुपये जोड़ने के बाद वह सरकारी अस्पताल में अपनी पत्नी को दिखाने जाएंगे. उन्होंने बताया, ‘डॉक्टरों ने बताया कि यहां इलाज पूरी तरह मुफ्त है. लेकिन उसे रोजाना करीब एक हजार रुपये खर्च करने होंगे. एक बार पत्नी के अस्पताल में भर्ती होने के बाद मुझे काम रोक देना होगा और मुझे उसकी देखभाल के लिए उसके पास ही रहना होगा।