वाङ्गमय पत्रिका हिंदी साहित्य जगत की अनमोल, चर्चित, पाठकों के बीच प्रिय पत्रिका है जो अलीगढ़ से ही डॉ फ़िरोज़ अहमद के संपादन में पहली बार निकली थी।इस पत्रिका को यहां तक लाने में अनेक लेखकों का योगदान भी रहा है, अनेक चर्चित विमर्शों पर अपनी गहरी पैठ रखने वाली इस पत्रिका ने साहित्य की असीम सेवा की है जिसके वजह से यह पत्रिका हिंदी क्षेत्र ही नही अपितु दक्षिण भारत के अनेक विश्वविद्यालयो में भी चर्चित है, आजकल तो इस पत्रिका की गूंज विदेशों में भी है वहां पर जो भी हिंदी लिखने-पढ़ने वाले प्रवासी भारतीय है वो भी इस पत्रिका के अंकों के आने का इंतेज़ार करते है क्योंकि इस पत्रिका ने ही उपेक्षित समाज को साहित्य में स्थान दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है चाहे वो मुस्लिम विमर्श में राही, शानी, बदरूज़मा या अब्दुल बिस्मिल्लाह का योगदान हो या फिर दलित, स्त्री, आदिवासी, समलैंगिकता या किन्नर समाज पर इस पत्रिका ने खूब उपलब्धि हासिल हुई है डॉ. फ़िरोज़ अहमद ने युवा शोधार्थी अकरम हुसैन को उनकी ऊर्जा, साहित्य के प्रति समपर्ण को देखते हुए पत्रिका का उपसंपादक बनाया है जिससे उनकी ऊर्जा का सही प्रयोग करके वाङ्गमय पत्रिका और साहित्य की सत्य निष्ठा से सेवा हो सके जिससे देश दुनियां में हिंदी का परचम बुलंद हो इस अवसर पर उपसंपादक अकरम हुसैन को बधाई देने वालो का तांता लगा हुआ है सर्वप्रथम उनके शोध निर्देशक प्रोफेसर मेराज अहमद सर, डॉ. शगुफ़्ता नियाज़ मैडम ने उनको शुभकामनाये दी और निकट भविष्य में ज़िम्मेदारियों को समझकर उनको सीख दी कि इस ज़िम्मेदारी का निर्वाह आपको मेहनत, लगन और ईमानदारी से करना है बधाई देने वालो में हिंदी विभाग के शिधार्थी मित्रो में मनीष कुमार गुप्ता, अम्बरीन आफ़ताब, मोहम्मद आसिफ अली, मोहम्मद जावेद, सलीम अहमद आदि ने उपसंपादक बनने पर शुभकामनाये दी।