जहां चाह होती है वहां कोई भी राह मुश्किल नहीं होती, बस कुछ कर दिखाने का जज्बा होना चाहिए। यही जज्बा देखने को मिला जन्म से दोनों हाथों से विकलांग गंगोत्री में। भाटापारा के गुरुनानक वार्ड में रहने वाली छठवीं में अध्ययनरत छात्रा गंगोत्री मनहरे पैरों से लैपटाप चला लेती है।
आमतौर पर देखा गया हैं कि अच्छे भले स्वस्थ लोगो को भी कंप्यूटर की भाषा समझ नहीं आती, लेकिन दोनों हाथों से दिव्यांग बधाी का हौसला देखते ही बनता है। अपने दोनों हाथ नहीं होने का जरा भी अफसोस न जताते हुए बालिका फर्राटे से लैपटाप के की बोर्ड पर पैर का इस्तेमाल कर अपना कार्य करती है। गंगोत्री के पिता पेशे से ड्राइवर है। वहीं इस बालिका पर मां का साया भी नही है।
बावजूद इसके अपने लक्ष्य को पाने के लिए दृढ संकल्पित बधाी कड़ी मेहनत करते हुए आगे कंप्यूटर में ही अपना भविष्य बनाना चाहती है। वही इनका पूरा साथ देते हुए स्कूल के हेड मास्टर कहते हैं गर्मी की छुट्टी होने के बावजूद बधाी में कंप्यूटर सीखने की जबरदस्त ललक है और बधाी अन्य बधाों की अपेक्षा कोई भी बात को तुरंत पकड़ते हुए आगे बढ़ रही है। बहरहाल गंगोत्री असमान्य होते हुए भी कुछ कर दिखाने की कोशिश कर रही है।