बिहार के पूर्णिया में मानवीय संवेदना को झकझोरने वाली तस्वीरें सामने आयी हैं. शहर के सदर अस्पताल में एक महिला मरीज की मौत के बाद उसके शव को परिजन बाइक पर लेकर 20 किलोमीटर दूर घर गये.
मरीज की गरीबी और सदर अस्पताल प्रशासन द्वारा मार्चरी वाहन नहीं दिये जाने के कारण ये संवेदनहीनता देखने को मिली. श्रीनगर थाना के रानीबाड़ी गांव की सुशीला देवी की हार्ट अटैक के कारण पूर्णिया सदर अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गयी इसके बाद परिजन सुशीला के शव को बाइक पर बांध कर 20 किलोमीटर दूर अपने घर ले गये. इस घटना ने मानवीय संवेदना को झकझोर दिया. पीड़ित मरीज के पति शंकर साह का कहना है कि उसने पहले तो सदर अस्पताल के डॉक्टर से शव घर ले जाने के लिये वाहन की मांग की तो उसने असमर्थता जताई।
इसके बाद जब वह ऑटो लेने गया तो ऑटो वाले ने 20 किलोमीटर तक शव को ले जाने के लिये 13 सौ रुपये की मांग की लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे कि वो अपनी पत्नी का शव ऑटो पर ले जा सके. मृतक के पुत्र राजेश साह और पति शंकर साह ने मिलकर शव को बाइक पर बांधा और 20 किलोमीटर दूर रानीबाड़ी गांव गये।
राजेश का कहना है कि उनके पास पैसे नहीं थे इसी वजह से आज उनको बाइक पर अपनी मां का शव घर लाना पड़ा. इस घटना की सूचना मिलते ही डीएम पंकज पाल ने दो सदस्यीय जांच टीम का गठन कर दो दिनों में जांच रिपोर्ट देने की बात कही।
सिविल सर्जन डॉक्टर एम वसीम ने कहा कि मरीज के परिजनों द्वारा उनसे गाड़ी की मांग नहीं की गयी न ही उन्हें इस बाबत कोई जानकारी थी. उन्होंने कहा कि गरीब मरीजों को मुफ्त में शव वाहन दिया जाता है जबकि एपीएल को मामूली शुल्क लेकर शव वाहन उपलब्ध कराया जाता है . सीएस ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है जो भी इसमें दोषी होंगे उसपर कार्रवाई होगी