नीलाम होगी 34 हजार करोड़ की सहारा एंबी वैली,

0
598

IMG 20170418 074808नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार (17 अप्रैल) को बंबई उच्च न्यायालय के आधिकारिक परिसमापक (ऑफिशल लिक्विडेटर) से कहा कि सहारा समूह के स्वामित्व वाली लोनावला स्थित एंबी वैली की 34 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति को बेच दे.
इसके साथ ही न्यायालय ने सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय को 28 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है.
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति ए के सिकरी की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सहारा समूह द्वारा पांच हजार करोड़ रुपए जमा नहीं किये जाने पर कड़ा रुख अपनाते हुये कहा, ‘बहुत हो चुका. ऐसा नहीं हो सकता कि आप आज कुछ कहें और कल इससे मुकर जायें.’
पीठ ने सुब्रत राय को न्यायालय के आदेश से खिलवाड करने के प्रति भी आगाह किया और कहा कि उसके आदेशों पर अमल नहीं करने की स्थिति में उन्हें कानून के कोप का सामना करना पडेगा और अंतत: यह सब उनके अपने जोखिम पर होगा.
पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय से संबद्ध आधिकारिक परिसमापक से कहा कि एंबी वैली की संपत्तियों को नीलाम कर दिया जाये और सीधे तौर इस बारे में उसे सूचित किया जाये. यह संपत्ति करीब 34 हजार करोड़ रुपए की होने का अनुमान है,
न्यायालय ने राय और उसके समूह तथा सेबी को निर्देश दिया कि इन संपत्तियों से संबंधित सारी जानकारी 48 घंटे के भीतर आधिकारिक परिसमापक को मुहैया करायी जाये.
इस बीच, शीर्ष अदालत ने प्रकाश स्वामी को भारत से बाहर जाने से रोक दिया है. प्रकाश स्वामी ने अमेरिका में सहारा होटल की बिक्री के बारे में हलफनामा दाखिल किया था. न्यायालय ने स्वामी को निर्देश दिया है कि वह सेबी के पास दस करोड़ रुपए जमा कराये.
न्यायालय ने कहा कि स्वामी को भी 28 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होना है।IMG 20170418 080417
शीर्ष अदालत ने 6 अप्रैल को सहारा समूह को चेतावनी दी थी कि यदि 17 अप्रैल तक वह 5092.6 करोड़ रुपए सेबी-सहारा के खाते में जमा कराने में विफल रहा तो न्यायालय को मजबूर होकर उसकी एंबी वैली की संपत्ति को नीलाम करना पड़ेगा.
न्यायालय ने यह भी कहा था कि इसके बाद सहारा समूह को यह रकम जमा कराने के लिये और समय नहीं दिया जायेगा.
पिछले आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने किया था आगाह
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार (21 मार्च) को सहारा समूह को आगाह किया था कि यदि उसने वायदे के मुताबिक 17 अप्रैल तक 5,092.6 करोड़ रुपए जमा नहीं कराए, तो उसकी पुणे में अंबे वैली की 39,000 करोड़ रुपए मूल्‍य की प्रमुख संपत्ति की नीलामी की जाएगी. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने न्यूयार्क के प्लाजा होटल में सहारा की हिस्सेदारी 55 करोड़ डॉलर में लेने की इच्छा जताने वाली अंतरराष्ट्रीय रीयल एस्टेट कंपनी को निर्देश दिया है कि वह अपनी सही मंशा को दिखाने के लिए शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के बजाय सेबी-सहारा रिफंड खाते में 750 करोड़ रुपए जमा कराए. न्यायालय की इस पीठ में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति ए के सीकरी भी शामिल थे.
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘यदि वायदे के मताबिक तय समयसीमा में यह पैसा जमा नहीं कराया गया, तो हम सहारा की अंबे वैली परियोजना की नीलामी करेंगे.’’ उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले धन की वसूली के लिए सहारा समूह की इस प्रमुख संपत्ति की कुर्की का आदेश दिया था.
शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही सहारा समूह से दो सप्ताह में उन संपत्तियों की सूची देने को कहा था जिन पर किसी तरह की देनदारी नहीं है और जिन्हें सार्वजनिक नीलामी के लिए रखा जा सकता है तकि निवेशकों को लौटाए जाने वाले मूल धन के शेष 14,000 करोड़ रुपए की राशि जुटाई जा सके.

निवेशकों से जुटायी गयी मूल राशि 24,000 करोड़ रुपए है जिसे लौटाया जाना था. यह पैसा सेबी-सहारा खाते में जमा कराया जाना था. न्यायालय ने पिछले साल 28 नवंबर को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय को जेल से बाहर रहने के लिए 6 फरवरी तक सेबी-सहारा रिफंड खाते में 600 करोड़ रुपए जमा कराने को कहा था. न्यायालय ने चेतावनी दी थी कि यदि वह ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें वापस जेल भेज दिया जाएगा.
जेल से बाहर हैं सहारा प्रमुख सुब्रत राय
राय को 6 मई, 2016 को अपनी मां की अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए चार सप्ताह का पैरोल दिया गया था. उसके बाद से अदालत ने उनका पैरोल बढ़ाया है. राय को 4 मार्च, 2014 को जेल भेजा गया था. निवेशकों से अवैध तरीके से जुटाए गए 24,000 करोड़ रुपए के धन को उन्हें वापस करने के न्यायालय के 31 अगस्त 2012 के आदेश का सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कारपोरेशन (एसआईआरईसीएल) तथा सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कार्प लि. (एसएचआईसीएल) द्वारा अनुपालन नहीं किए जाने पर राय के साथ कंपनी के दो अन्य निदेशकों रवि शंकर दुबे और अशोक राय चौधरी को भी गिरफ्तार किया गया था.
⏩ज़ी न्यूज़ ⏪