इलाहाबाद.-यूपी में एकाएक सत्ता परिबर्तन के बाद कुर्सी संभालते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा यूपी में बूचड़खानों पर लगाई रोक पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि मांस खाने वालों लोगों की पसंद का भोजन करने के अधिकार को बिना किसी वजह के खत्म नहीं किया जा सकता। न ही उसमें किसी तरह की रूकावट पैदा नही की जा सकती है।
सरकार इसमें कोई भी दखलअंदाजी नहीं कर सकती है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी किया और उससे एक महीने में जवाब देने को कहा है। अदालत ने यूपी सरकार से पूछा है कि स्लाटर हाउस शुरू करने और पहले से चल रहे बूचड़खानों को चलते रहने देने के मामले में उसकी क्या नीति है उसको स्पष्ट करें।अदालत ने सरकार से यह भी पूछा है कि स्लाटर हाउस चलाने का अधिकार राज्य सरकार, नगर निगम या प्राइवेट लोगों में से किसका है।
चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने यूपी सरकार से यह भी बताने को कहा है कि किसी शहर में बूचड़खाना न होने या बंद होने पर बकरे व मुर्गे के मीट की दुकान का लाइसेंस कैसे दिया जा सकता है और सूबे में तमाम बूचड़खाने बंद होने पर सरकार ने अब क्या नियम बनाए हैं।
▶ 5 जुलाई को एक बार फिर होगी सुनवाई
हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को यह नोटिस झांसी के मीट कारोबारी की अर्जी पर सुनवाई के बाद दिया है। कारोबारी की तरफ से अदालत में कहा गया था कि वह शहर में बकरे व मुर्गे का मीट बेचने की दुकान लीगल तौर पर चलाना चाहता है और इसलिए उसने लाइसेंस के लिए नगर निगम में आवेदन किया था, लेकिन नगर निगम ने बूचड़खाना बंद होने का हवाला देकर फिलहाल लाइसेंस देने से मना कर दिया है।अर्जी में यह भी कहा गया कि लाइसेंस न होने की वजह से झांसी के लोग अपनी पसंद का भोजन नहीं कर पा रहे हैं। अदालत ने इस मामले में तल्ख़ टिप्पणी की और कहा कि किसी को भी उसकी पसंद का खाना खाने से नहीं रोका जा सकता। अदालत ने झांसी नगर निगम को भी नोटिस जारी कर उससे भी जवाब तलब किया है। अदालत इस मामले में अब पांच जुलाई को फिर से सुनवाई करेगी।