GST बैठक का कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल करेंगे बहिष्कार, जेडीयू ने फैसला इन पर छोड़ा

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नई दिल्ली:-वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की शुरूआत के लिए 30 जून को संसद में होने वाले मिडनाइट सेशन में कई विपक्षी दल हिस्सा नहीं ले रहे हैं.कांग्रेस, तृणमूल  कांग्रेस, आरजेडी, समाजवादी पार्टी और वाम दलों ने जहां सरकार द्वारा घोषित विशेष समारोह में हिस्सा ना लेने की घोषणा की है वहीं जदयू ने कहा कि वह यह फैसला अपने सांसदों पर छोड़ती है।
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👉कांग्रेस ने बैठक को बताया प्रचार का बड़ा तमाशा
कांग्रेस ने सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक की जमकर आलोचना करते हुए इसे चर्चाएं हासिल करने के लिए ‘खुद के प्रचार का बड़ा तमाशा’ बताया. पार्टी ने सरकार पर देश के स्वतंत्रता आंदोलन का ‘अपमान’ करने का भी आरोप लगाया क्योंकि संसद के सेंट्रल हॉल में पूर्व में हुए तीन आधी रात के समारोह देश की आजादी से संबंधित थे. काग्रेस नेताओं ने कहा कि पार्टी के समारोह में हिस्सा ना लेने का यह भी एक कारण है।
👉आरजेडी भी करेगी बहिष्कार

कांग्रेस की तरह लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी ने भी जीएसटी को लेकर संसद की विशेष बैठक से दूर रहने का निर्णय लिया है. चारा घोटाला से जुडे एक मामले में गुरूवार को झारखंड में पेशी के लिए गए लालू ने अपनी पार्टी द्वारा बैठक के बहिष्कार की घोषणा करते हुए कहा कि दिल्ली में आधीरात में आयोजित उक्त बैठक में उनकी पार्टी शामिल नहीं होगी और उसका बहिष्कार करेगी.
👉बहिष्कार की घोषणा सबसे पहले तृणमूल ने की
तृणमूल कांग्रेस प्रोग्राम के बहिष्कार की घोषणा करने वाली पहली पार्टी थी. ममता बनर्जी ने कहा, ‘हम जीएसटी के समर्थन में थे. लेकिन उन्होंने कई चीजें बदल दीं. दवा आदि पर उन्होंने कर लगा दिया. हमने उनसे इसे जल्दबाजी में लागू नहीं करने को कहा. लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया.’  ममता ने कल कहा था कि तृणमूल कांग्रेस 30 जून की आधीरात को जीएसटी लागू करने के प्रोग्राम में भाग नहीं लेगी.
👉भाकपा भी करेगी बहिष्कार
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने केन्द्र पर जीएसटी लागू करने के लिए जल्दबाजी करने का अरोप लगाया और 30 जून आधी रात ससद की विशेष बैठक में भाग नहीं लेने का फैसला किया है. भाकपा के महासचिव सूर्यवरम सुधाकर रेड्डी ने कहा कि पार्टी ने अपने सांसदों से विचार विमर्श करने के बाद सरकार की ओर से बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होने का निर्णय किया है।पार्टी का लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में एक एक सदस्य है।
👉जदयू ने फैसला अपने सांसदों पर छोड़ा
लेकिन जदयू ने अपना रूख साफ ना करते हुए कहा कि उसने यह फैसला अपने सांसदों पर छोड़ दिया है. हालांकि पार्टी के प्रवक्ता के सी त्यागी ने कहा, ‘यह महज एक सुधारवादी उपाय है. सरकार जिस तरह इसे भारत की आथर्कि आजादी के रूप में पेश कर रही है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है.’
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